करवाचौथ को कुछ ही घंटे शेष हैं और बाजारों में महिलाओं का जमकर खरीददारी का दौर चल रहा है...बाजार हो या बॉलीवुड हर किसी ने करवाचौथ के व्रत को खूब भुनाया है...अक्सर मेरे दिल में करवाचौथ को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं...मैं भारतीय महिलाओं की तपस्या या व्रत पर सवाल नहीं उठाने जा रहा हूं जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए सदियों से करवाचौथ रखती आई हैं...क्योंकि मैंने बचपन से अपनी मां को भी करवाचौथ का व्रत रखते और इसकी तैयारी के लिए उतावलापन देखा है...शाम को प्यासे चेहरे को बड़ी हिम्मत के साथ चांद का इंतज़ार करते देखा है...लेकिन सवाल कई खड़े होते हैं कि हमारे देश में हमेशा व्रत, सारे नियम महिलाओं के लिए क्यों बने...क्यों नहीं मर्दों के लिए हमारे देश में सदियों से कोई व्रत नहीं बना...क्योंकि उनको पत्नी की लंबी उम्र से क्या लेना...पत्नी मर भी जाएगी तो दूसरी शादी हो जाएगी...लेकिन अगर एक औरत का पति उसके जीते जी मर जाए तो उसके लिए सती प्रथा भी इसी देश में थी जो समाज के ठेकेदारों ने ही बनाई होगी। आज के दौर में उत्तर भारत का ये व्रत पूरे देश में मनाया जाने लगा तो इसमें यश चोपड़ा की फिल्मों का अहम रोल है...डीडीएलजे में सिमरन ने राज के लिए जो किया...आज ज्यादातर हर युवा कर गुजर सकता है...युवा सच में यश चोपड़ा के शुक्रगुजार है कैसे पंजाबी व्रत को देश भर में हिट कर दिया...जालंधर छोड़े हुए उनको पांच दशक हो गए...लेकिन यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों में ऐसा पंजाबी तड़का लगाया कि सारा बाजार कायल हो गया...शाहरुख सुपरस्टार बन गए यश जी के चलते...यश जी की फिल्में हिट हुईं करवाचौथ के फेर में...
लेकिन उन महिलाओं को सलाम करने को दिल बार-बार करता है जो सदियों से कष्ट सहकर भी ऐसे व्रत का पालन करती आई है...चाहे वो आज की गृहिणी हो जा जेट उड़ाने वाले महिला पायलट...
आज नये शादीशुदा जोड़े या पति देव या ब्वॉयफ्रेंड अपनी संगिनी को खुश करने के लिए व्रत रखते हैं...उम्मीद करता हूं कि वो ताउम्र ऐसा कर सकें...लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मै नही चाहता कि मेरी श्रीमति भी मेरे लिए व्रत रखें..
क्योंकि मेरे हाथों में उम्र की रेखा पहले ही काफी लंबी है..इस लिए मेरी लंबी उम्र के लिए कोई दर्द क्यों सहें...जो मैं देख ना पाऊं....उम्मीद करता हूं वो शायद इसे समझ इसे समझ पाएगी।...
BHAIYA KAMAAL LIKHA...ITNA ACHI SOCH..LEKIN HAMARI BHABI AGAR PAKDE RAKHNA CHAHE???VRAT NAHI APKE KAN...PUNJABI HOGI TOH RAKHEGI...HEHEHE..
ReplyDeleteONCE AGAIN AWESOM BLOG BHAIYA...
nahut achhe... ek baat batau, sati-pratha to purani ho gayi aur aaj ke is dour mei maine bahut se puroshon ko Karwa-chouth rakhte dekha hai... hamaree maa na nahi rakha, kyonkee chalan nahi hai aur Dadi kahtee thee ki ham teeja rakhte hain... par is baras meri mousi ye vrat maa ko rakhwa rahi hia... kuchh bhi kaho utsaah hai unke chehre mei... aapkee soch padhkar achha laga...
ReplyDeleteपूजा जी...नगमा जी और बहना ज्योति बहुत शुक्रिया आपका...दुआ करें कि आगे भी कुछ अच्छा लिखता रहूं।
ReplyDeletebeautiful...d thought n d article as well...:)
ReplyDeletereally wonderful...keep up d gud work alwz...rlly admirable...my wishes..:)::
waah Munish waah!! kya soch hai..impressive. Kaash ki har mahila is vrat ko apne pati ya boyfrnd ya sathi ke liye pyar ko express karne ke liye kare aur na ki sirf isliye kyuki ye ek sadiyon se chalti aayi pratha hai..i knw women hu get beaten up by their husbands n still fast on karwachauth..and many of thm hu jst cant stay hungry n thirsty au mann hi mann apne pati ko gaaliyan deti hain is din ke liye..hehehe..I hope u get my point!! However..a gud piece..well done!!
ReplyDeletethanks ina aur palak ji...aap jaise followers ho toh acha lagta hai...lekin mujhe ache ideas bhi diya kare..bhej sakte hai apne vichar...mujhe ideas ki rehti hai darkar...sametana hota hai office ka..aur.ghar ka karobar...
ReplyDeleteWaah Waah munish...ek poem post khol lo tum ab..
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