Monday, July 19, 2010

दुखिया सब संसार...

आज जिसको देखो वो दुखी है। किसीको मकान का दुख है, किसी को दुकान का दुख है, किसी को कम होती शान का दुख है, हर रोज़ पिटते प्लान का दुख है। मियां को श्रीमति का, बीवी को पति का, किसी को रोज़गार में होती क्षति का...कोई नहीं मिलता सुखी है, आज जिसको देखो वो दुखी है...
कोई बॉस से दुखी है, कोई रोग से दुखी है, कोई मोटापे में बेअसर योग से दुखी है, नौकर मालिक के भोग से दुखी है, कोई प्रेम रोग से दुखी है, किसीको फिल्मी कैटरीना नहीं वही छोकरी चाहिए, किसकी को अच्छी पगार वाली नौकरी चाहिए। किसी को इनकम टैक्स बचाना है, किसी को खूब नाम कमाना है... मां-बाप को कुछ बन कर दिखाना है, कोई नहीं मिलता सुखी है, जिसको देखो वो दुखी है।
जब दुखिया सब है संसार जब राजनेता भी कैसे बचेंगे इस बार.. पार्षद महोदय एमएलए ना बन पाने से दुखी हैं, एमएलए साहब अभी सांसद ना बन पाने से दुखी हैं तो सांसद जी तो मंत्रीमंडल में ना चुने जाने से दुखी हैं, अरे जो मंत्री बन गए वो तो कैबिनेट मंत्री बनने को दुखी हैं, कई वरिष्ठ मंत्री खुद को प्रधानमंत्री ना बनाए जाने पर दुखी हैं, ये क्या प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचा पाने की कवायद से दुखी है, अगर देश के सबसे बड़े पद पर बैठा आदमी भी दुखी है तो हमलोग तो सही दुखी हैं, वैसै मैं भी दुखी हूं, बड़ा निजी मामला है बता नहीं सकता, ब्लॉग पर जता नहीं सकता...बस मेरे ये विचार हैं...क्योंकि दुखिया सब संसार है...

Wednesday, July 14, 2010

मेरे देश का क्या है नाम...

मैं अक्सर ये सोचता हूं मेरे देश के भारत और इंडिया दो हैं नाम
लेकिन मैं इंडिया में रहता हूं क्योंकि भारत में रहने वालों का बुरा हाल है
वो दिनों दिन हो रहा कंगाल है, भारत में तो नक्सल का मायाजाल है
राजधानी दिल्ली में मैं रहता हूं इसलिए अपने को इंडियावासी कहता हूं
देश के राज्यों को सिलसिलेवार ढंग से मैने छांटा है और फिर इनको भारत या इंडिया में बांटा है
देश के राज्यों में या तो खुशहाली है या हरियाली नहीं तो बदहाली है
किसी राज्य का हम नहीं लेंगे नाम, नहीं करेंगे किसी को बदनाम
खुशहाल राज्यों की खुशहाली का फायदा हमारे नेता, उन राज्यों की अमीर जनता ही उठाती है, जो हर दिन और अमीर या खुशहाल होती जाती हैं...
हरियाली राज्यों का फायदा नक्सली उठाते हैं जो हमले करने के बाद कहीं भी छिप जाते हैं, हमारे सुरक्षाबलों को शहीद कर अपनी भूख मिटाते हैं..
बदहाल राज्यों में लोग रोते कैसे होंगे वो खाली पेट सोते कैसे होंगे, ये बड़ा सवाल है, सूखे से, रोगों से, भूख से लड़ते उनकी टूट गई है कमर...
सरकार की दी गई मदद नहीं पहुंच पाती, जनता एक वक्त के खाने को है तरस जाती..
ये बदहाली अगर हरियाली की तरफ बढ़ी तो नक्सलियों को बढ़ावा मिलेगा और ये हरियाली अगर खुशहाली की तरफ बढ़ी तो हमें भी चढ़ावा मिलेगा....

Tuesday, July 13, 2010

प्यार का मीटर...

दुनिया में इतने हो गए आविष्कार
लेकिन देवगन यार, प्यार मापने का अगर कोई बन जाए औजार
तो एकतरफा प्रेम करने वालों को भी मिल जाएगा हथियार
प्रेमी जैसे करता इज़हार, लड़की करने वाली होती 10 बहाने बता इंकार
प्रेमी बोलता ये लो प्यार का मीटर, मेरे दिल में लगा है तुम्हारे प्यार का हीटर,
अच्छा अभी माप लेती हूं, लो सबकुछ जांच लेती हूं,
अरे-अरे तुम तो मुझसे करते हो 100 डिग्री प्यार, पिछला वाला तो 99 डिग्री करता था यार,
लेकिन तुम मुझे पहले क्यो नहीं बताए, पहले क्यों नहीं इजहार फरमाए
प्रेमी- अरे कंपनी ने मीटर ही अभी-अभी बनाए, हम विदेश से किराए पर है इसे मंगवाए, एक महीने की पगार है लगाए, तो इस तरह दोस्तों कुछ आशिकों के चेहरे खिल भी जाते,
कुछ गुमनाम हमसफर मिल भी जाते। कुछ आशिक हिल भी जाते,
मौका-ए-वारदात पर अंडों की तरह छिल भी जाते
जो इस टेस्ट में फेल हो जाते, उनके साथ-साथ बड़े-बड़े खेल हो जाते,
वो कभी प्रेम के मैदान पर मेल ना खाते,
दोस्तों ऐसा अगर कोई मीटर अगर बन जाते
तो शायद दुनिया के आधे से ज्यादा जोड़े छूट जाते,
बनने से पहले ही टूट जाते, सारी मस्ती-मीटर गेम जीतने वाले लूट जाते
अगर किसी नामचीन कंपनी ने ऐसे प्यार के मीटर बनाए होते

तो हम भी प्रेम के टेस्ट में अव्वल आये होते,
दोस्तों उन युवाओं को इसकी दरकार है
जिन्होने कभी-कहीं या किसी से किया so called सच्चा प्यार है..
क्या अटपटा शब्द लगता ये सच्चा प्यार है, true love की बहार है
दोस्तों आपको लगता है कि प्रेम के मीटर का होना चाहिए आविष्कार
या इनके बिना भी तो चल रहा प्रेम का संसार, जरुर बताये मुझे अपने विचार

Sunday, July 11, 2010

अगर पाक ना बना होता....

जब मैं अपने गृह नगर अमृतसर के बार्डर से सरहद पार देखता हूं तो मैं अक्सर सोचता हूं कि आखिर क्या फर्क है हिंदोस्तान और पाकिस्तान में ,मैं हर बार एक ही नतीजे पर पहुंचता हूं कि अगर पाकिस्तान ना बना होता, तो शायद सरहद पार का वो पाक कहलाने वाला हिस्सा भी और खुशनसीब होता, भारतीयों के लिए भी ये एक फायदे का सौदा होता। भारत चीन को बराबरी की टक्कर दे रहा होता, भारत को अकरम सरीखे तेज़ गेंदबाजों का बड़ा यूनिट मिल गया होता , क्रिकेट का विश्व कप हमने दो बार जीत लिया होता, शायद लाहौर की गलियों में हर दूसरे दिन बम ना फट रहा होता शायद ही मुहाजीर नाम किसी को मिला होता, भारत ने सिर्फ एक ही युद्ध चीन के खिलाफ लड़ा होता, मेरा भारत भी और बड़ा होता, बड़ा सवाल ये कि लादेन का क्या होता, अगर पाक हमारा हिस्सा होता तो अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी होता, तब लादेन का क्या होता वो तो भारत में ही छिपा होता, अमेरिका और रूस को भी एक नुकसान होता, वो अपने हथियारों की खेप को कहां बेच पाते, कहां से अरबों रुपये कमाते, दोस्तों अगर भारत पाक दो मुल्क ना बन पाते तो मेरे दादा भी लाहौर से ना आते तो हम भी इस मुद्दे पर ना लिख पाते, वैसे एक मशहूर शायर ने लिखा है, ( जिने नहीं वेखिया लाहौर ओहदे जमन दा कि फैदा) जिसने लाहौर नहीं देखा उसका मानव जन्म लेना बेकार है , ये बंदा भी अपना पुश्तैनी घर देखने को बेकरार है, पड़ोसी मुल्क के हालात सही होने का इंतज़ार है, सही होने का इंतज़ार है....