Thursday, August 19, 2010

खेलों में समय कम बचा है...हाहाकार मचा है...

कॉमनवेल्थ खेलों को कम समय बचा है, लेकिन चारों तरफ मानो जैसे हाहाकार मचा है। दिल्ली का पूरा सरकारी तंत्र देर से ही सही ऐसी तैयारी में जुटा है मानो देश में कॉमनवेल्थ खेल नहीं विश्व युद्ध होने वाला है... विश्व युद्ध में हवाई हमलों के शिकार देश मलबे में बदल जाते थे.. साडी दिल्ली भी कुछ ऐसे ही खुदी पड़ी है... मलबे के ढे़र आम है.... फर्क सिर्फ इतना दिल्ली में युद्ध नहीं खेल होने है...लेकिन तैयारियां युद्धस्तर पर जरुर चल रही हैं.
मैं सोचता लोगों को अब क्यों कमियां खल रही है.. पहले हम और आप क्यों मान बैठे थे कि कॉमनवेल्थ खेल हिट होंगे... खैर अभी खेलों को हिट -प्लॉप करार देना जल्दबाज़ी होगी...लेकिन इतना जरुर है कि घोटालों की परते खुलते ही काफी लोगों की कुर्सीयां चली जाएंगी...खेलों का बजट बढ़ते-बढ़ते 12 हजार करोड़ पहुंच गया...कोई कहता 12 नहीं 16 हजार करोड़... ये खुलासे तो खेलों के बाद होने वाले खेलों उर्फ बड़े-बड़े पोल खोलो पर छोड़ देना चाहिए...जवाहार लाल नेहरु स्टेडियम पर 961 करोड़ खर्च होने की बात की जा रही है... कहते है कि नेहरू स्टेडियम की छत पर ही 100 करोड़ का खर्च आ गया..अरे भाई विदेशी कोटेड ग्लास फाइबर से बनी छत है जो बड़े-बड़े आंधी तूफानों से स्टेडियम का बचाव करेगी...जैसे मैंने एक ब्लॉग में पहले भी जिक्र किया था कि थोड़ा बहुत पैसा गेहूं रखने वाले गोदामों की छतों पर भी खर्च कर दिया जाता...तो लाखों टन गेहूं हर साल जाया ना जाता..
दिल्ली की सीएम शीला जी कहती है कि हम तो ओलंपिक के लिए भी तैयार है.. कोई मैडम को समझाये कि वो दिल मजबूत रखे और खेलों के नाम पर आलोचना झेलने के लिए भी जरा तैयार रहे.. खैर आलोचना तो दुनिया में बड़े-बड़ों की हो गई...कोई इससे मजबूत हो गया तो कोई चलता बना.. अब देखते है कि कलमाड़ी साहब क्या रास्ता चुनते थे...फिलहाल तो वो सबसे भागते ही नजर आते हैं..चलिए अब तो पीएम मनमोहन सिंह ने भी कह दिया कि खेलों को राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाना चाहिए... दिल्ली वाले तो इसे पर्व की तरह मनाएंगे ही...बच्चों के स्कूल ही जो बंद होंगे... बच्चे इन छुट्टियों का खूब मजा लेंगे और दुआ करेंगे कि ऐसे खेल हर साल हो...जिससे वो छुट्टी मना सके..कहते है कि बच्चों की दुआ भी जल्द कबूल हो जाती है...मुझे पूरी उम्मीद है दुआ तो इस वक्त खेलों से जुड़े अधिकारी और हर वो एजेंसी कर रही होगी...जिसपर गाज गिर सकती हो...मैं और आप इन घोटालेबाज़ों के लिए ना सही... लेकिन खेलों से अपने भारत की लाज बची रहे ये दुआ तो कर ही सकते है...तो चलिए फिर देर किस बात की..अगली बार.हम कॉमनवेल्थ खेलों और कॉमन भारतीयों में कॉमनता पर बात करेंगे...

नीचे आप अपने विचार मुझे बता सकते हैं...

3 comments:

  1. mere dost itna acha kaise likh lete ho devdas. hum toh jante hi hai... duniys bhi jan jayegi... anu

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  2. vichar kabile tarif hai, kya tarif kare apki...apki profile personality aur writing skills bahut bahut jandar hai....nagma

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