Thursday, August 12, 2010

मेरे देश में गेहू सड़ रहा है...

आज देश चाहे जितनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है....

क्या दुनिया में ऐसा भी कोई देश है जहां इतना गेहूं सड़ रहा है

मै आपसे और अपने आप से पूछता हूं ये सवाल, खेलों के नाम पर छली गई आम जनता की खाल

कॊमनवेल्थ के नाम पर जितना उड़ाया गया सरकारी माल, तो गेहूं छुपाने में क्यों रहे हम कंगाल

स्टेडियमों को खूब चमकाया जा रहा है, लेकिन हमसे आजादी के 60 साल बाद भी गेहूं नहीं छुपाया जा रहा है

आज देश में गरीब भूख से मर रहा है..दो जून की रोटी के लिए लड़ रहा है... लेकिन मेरे देश में गेहूं सड़ रहा है... गेहूं सड़ रहा है

खेलों के बजाए इतना पैसा अगर गोदामों पर लगाया जाता.. तो मेरे देश का सोना...गेहूं जाया ना जाता..

देश में ऐसे बड़े खेल बेशक होने चाहिए.. लेकिन उससे पहले हमारे देशवासी भरपेट सोने चाहिए..

बच्चों भूख से नहीं रोने चाहिए... हर बच्चे के स्कूल जाने के सपने नहीं खोने चाहिए..आज मध्यवर्गीय भारतीय महंगाई से लड़ रहा है....जरुरी सामान खरीदने से पहले हमें क्यों सोचना पड़ रहा है...लेकिन मेरे देश में गेहूं सड़ रहा है... गेहूं सड़ रहा है...

पंजाब में थाली में अन्न छोड़ना पाप माना जाता है, लेकिन शर्म से ये बताना पड़ रहा है कि सबसे अधिक

गेहूं वही गेहूं सड़ रहा है.. और आंकड़ा बाकि राज्यों में भी बढ़ रहा है...हर राज्य सरकार का नुमाइंदा केंद्र पर आरोप मढ़ रहा है.. लेकिन मेरे देश में गेहूं सड़ रहा है...मेरे देश में गेहूं सड़ रहा है...

6 comments:

  1. मुनीश जी थोड़े मे बहुत कह डाला |

    देश के नेतागिरी को धो डाला|

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  2. सुन्दर कथन, बधाई.

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. इस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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