हर साल 15 अगस्त को मैं एक ही चीज सोचता हूं कि क्या अगस्त महीने की 15 तारीख ज्यादातर भारतीयों के लिए मात्र छुट्टी का दिन बनकर रह गई है... 2010 में इस दिन ने रविवार को आ कर इस बात पर मोहर लगाने की कोशिश भी
कर दी... कभी सोचा है 200 सालों तक गुलाम रहे भारतीय उस तारीख का कितनी बेसब्री से इंतज़ार करते होंगे...जिस दिन वो खुली हवा में सांस ले पाएंगे... वो जो चाहेंगे वो कर पाएंगे...भारत आजाद हुआ कई बलिदानों से... आज भारतीय युवाओं को आमिर खान की 5 फिल्मों के नाम रटे होंगे लेकिन मात्र 5 शहीद जो आजादी के लिए फांसी को चूम गए थे को बताने में पसीने छूट जाएंगे...ये आजाद भारत या आज के भारत की तस्वीर है...हम विचारों से तो आधुनिक हो रहे हैं लेकिन हम आज भी गुलाम है...गुलाम किसके गुलाम..अब अंग्रेज नहीं तो अंग्रेजी के गुलाम हैं हम... आज भारतीय हर जगह अंग्रेजी झाड़ना सम्मान की बात समझते हैं और हिन्दी बोलना अपमान समझा जाने लगा है। हमारे पड़ोसी देश चीन और रुस से हमें कुछ सीख लेने की जरूरत है...इन देशों में भी अंग्रेजी बोली जाती है लेकिन सिर्फ गुजारे के लिए.. जिससे वो दुनिया को समझ सके और उसका जवाब दे पाएं... उनकी राष्टभाषा उनके लिए सम्मान की बात है..और हमारे लिए अब तो बहुत देर हो गई लगती है...1947 के बाद ही ये कार्य शुरू किया जाना चाहिए.. आजादी के बाद जैसा सारा भारत जनसंख्या बढ़ाने में जुट गया...हमारी सरकार जब जागी तो ये आंकड़ा 100 करोड़ पार कर गया था
.हमारा देश बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है... पर उतनी ही तेज़ी से हमारे संस्कार पीछे छुटते जा रहे हैं...
1923 में एक पंजाबी युवक कहा करता था कि गौरे साहब जाएंगे तो भूरे साब आ जाएंगे...जो देश को खूब खाएंगे...वो हमारे नेता कहलाएंगे... ये भविष्यवाणी आजाद भारत पर बड़ी फिट बैठती है...वो युवक थे शहीद भगत सिंह.. देश के लिए छोटी सी उम्र में फांसी को चूमना... ये बात मुझे आज भी मुझे प्रेरित कर जाती है...
शहीदों की देशभक्ति मुझे कहती है कि उनके बलिदान ना जाएं जाया
मेरे भारत को फिर से गुलाम ना जाए बनाया... गुलाम ना जाए बनाया...
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसादर
समीर लाल
grt blog, maza aa gaya, i hope this gun wil always firing like this.
ReplyDeletei lyk this
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