मैं नवंबर 2011 में अपने गृहनगर अमृतसर में था कि एक दोस्त का फोन आया कि सैकड़ों पाकिस्तानी हिंदू अपने घर छोड़ वाघा बार्डर पर आए हैं..जो हमेशा के लिए भारत में ही बसना चाहते हैं..मुझे लगा ये एक बेहतरीन स्टोरी है..जबतक मैं अपने घर से 25 km दूर भारत-पाक सीमा पर पहुंचता..वो काफिला आगे बढ़ गया..बस मुझे किसी तरह से ये पता चल पाया कि वो भारत में किसी धार्मिक जलसे में शामिल होने आए हैं..और वो राजधानी दिल्ली भी आएंगे..बस मैं तभी से उनके दिल्ली में पहुंचने का इंतज़ार करने लगा। पर राजधानी दिल्ली में उनका पता लगा पाना आसान नहीं था। फिर लगभग 40 दिन बाद उन लोगों का पता चला जब उन्होने गृह मंत्रालय में गुहार लगाई। तो मैं उस डेरे में अपने कैमरामैन के साथ पहुंचा..तो मुझे एक ऐसा मंज़र दिखा कि वो लोग जैसे अभी-अभी आजाद हुए हो...चेहरों में खौफ..डरी सहमी महिलाएं..कुल उस डेरे में 114 पाकिस्तानी हिंदू थे..पाकिस्तानी हिंदुओं ने मुझको बताया कि पाकिस्तान में उनके साथ बहुत ही बुरा सुलूक होता रहा है एक कन्हैया नाम के लड़के को कैंसर था..लेकिन कैमरे पर उसने भी भारत सरकार से भारत में बसने देने की गुहार लगाई..लेकिन उसके 2 दिन बाद ही उसका देहांत हो गया...सबसे पहले ये स्टोरी तेज़ चैनल पर प्रखर श्रीवास्तव ने चलाई और जितने लोगों ने देखी उनको अच्छी लगी...फिर आजतक में मेरे बॊस शम्स ताहिर खान की ने इसको बखूबी पेश किया और मेरे पास बधाईयों का तांता लग गया। ये स्टोरी मेरी सबसे अभी तक की सबसे बड़ी हिट स्टोरी साबित हुई..मुझे भी इसको करने बाद लगा कि इन लोगों के लिए कुछ अच्छा कर्म करने का मौका मिला..अभी ये पाकिस्तानी हिंदू दिल्ली के आसपास ही हैं और कोर्ट से उनको भारत में ही रहने की इजाज़त मिल गई है..ये स्टोरी बेस्ट स्टोरी कैटेगरी में 2 बार नॊमिनेट हुई और अब इसको गोयनका अवॊर्ड में भी भेजा गया..ये पाकिस्तानी हिंदू आज भी हमारे शुक्रगुजार हैं कि सबसे पहले हमने इनके दर्द को सरकार तक पहुंचाया और कन्हैया की आखिरी इच्छा भी पूरी हुई..कन्हैया चाहता था कि इन पाकिस्तानी हिंदुओं को भारत में बसने दिया जाए..कन्हैया का सपना सच तो हो गया लेकिन वो ये खुशी अपनी आखों से नहीं देख पाया..
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