

मैं अक्सर सोचता हूं कि काश मैं भी एक बड़े शहर में पैदा हुआ होता तो क्या होता...तो सबसे पहले तो मैं ये ब्लाग नहीं लिख रहा होता...दूसरा-तीसरा -चौथा कई कारण हैं...
छोटे शहर के अमीर भी बड़े शहर की भीड़ में कितने गरीब हो जाते हैं...ये मुझसे बेहतर कौन जान सकता है...मैं अक्सर अपने दोस्तों से कहता रहता हूं कि आदमी दिल से अमीर होना चाहिए..मुझे जवाब मिलते हैं कि दिल की अमीरी का अचार मुझे ही मुबारक हो...मेरा मानना है कि छोटे शहर के लोग वाकई दिल से बहुत अमीर होते हैं...बड़े शहरों में दिनदहाड़े घर लुट जाते हैं और पड़ोसियों को कानो-कान खबर नही होती...और छोटे शहरों में आपकी फ्रिज में क्या-क्या रखा है...यहां तक की खबर पड़ोसियों को होती है...पड़ोसियों की इज्जत रिश्तेदारों से ज्यादा होती है...औरतें पड़ोस में ही बहनें ढूंढ लेती हैं..जैसी मेरी मां ने निर्मल आंटी और ओमी आंटी नाम की धर्म बहनें बना ली...जब भी मैं अपने घर अमृतसर जाता हूं तो पड़ोस की आंटी का सरसो का साग बड़े स्वाद से खाता.हूं..छोटे शहरों में पड़ोसी दाल-सब्जी और दर्द सब बांटते हैं...मैं ऐसे बड़े दिल की बात करता हूं...जो दिलवालों की दिल्ली में फिट नहीं बैठती...अगर मैं भी बड़े शहर में पैदा हुआ होता तो मैं भी कई गर्लफ्रेंडस बनाने में विश्वास रखता...तो आजतक मैंने भी महिला मित्रों के साथ अकेले फिल्म देखने की हिम्मत जुटाई होती.
...अगर बड़े शहर में पैदा हुआ होता तो जिंदगी की पिच पर कभी हार ना मानने का जज्बा कैसे आया होता...रग-रग में जीतने का हौंसला कैसे समाया होता...खैर कुछ टीचर मेरी जीत की प्यास को देखकर कहते थे कि ये फौजी का बेटा हार नहीं मानता...इसे स्पोटर्स कैप्टन बना दो...
मेरा शहर छोटा था लेकिन मुझे संस्कार बहुत बड़े मिले...हमेशा वहां सबके चेहरे खिले रहते थे...जहां लोग हर दुख-सुख में एक साथ सहा करते थे...हम भी कभी ऐसे ही एक शहर में रहा करते थे...इस शहर में हर कोई खाने को दौड़ता है..दोस्त-दोस्त कहकर पीठ में कई लोगों से छुरा खा चुके हैं...इस लिए दोस्त बनाने में चूजी हो गए हैं हम...जो अच्छा लग जाए बस लग जाता है...जो पसंद ना आए वो पीछे छूट जाता है... दोस्तों पर जान देने का जज्बा मैंने अपने शहर से ही सीखा...मेरे शहर में मेरा एक ही दुश्मन बन गया था जो मेरे सबसे करीबी दोस्तों का दुश्मन था .. अब वो इस दु्निया में नहीं है...बड़े ही फिल्मी अंदाज़ में एक लड़की के प्रेम में आत्महत्या कर ली उसने... खैर बड़े शहर की बड़ी बातें हैं...महिलाओं के लिए ये दिल्ली शहर कैसा हैं ये तो सब बखूबी जानते हैं..रोजाना छेड़खानी की वारदातें बड़े शहर के बड़े दामन पर कई दाग लगाती जाती हैं जिनको छुड़ा पाना नामुमकिन है...अक्सर मेरे दिल में ख्याल आता है कि छोटे शहर के बड़े दिलवाले ज्यादा अच्छे हैं या बड़े-बड़े शहरों के छोटे दिलवाले...