
बचपन से पढ़ता-सुनता आया हूं कि भारतीय सनातन संस्कृति दुनिया में सबसे पुरानी है...कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जिस देश में राखी जैसा पवित्र त्यौहार मनाया जाता रहा है...उसी देश में दुनिया के सबसे ज्यादा इव टीजर्स होंगे..बड़ी शर्म की बात है..आखिर ये उसी देश में क्यों जहां बहन को सदियों से भाई रक्षा का वायदा देते रहे हैं...आज भी ज्यादातर भाई अपनी बहन की तो सुरक्षा चाहते हैं लेकिन दूसरे की बहन की ऐसी-तैसी..कोई अपनी बहन को छेड़ दे तो उसे कच्चा चबाने का दम रखते हैं...भई मर्द जो ठहरे..गुस्सा तो आता ही होगा..लेकिन ये कैसी मर्दानगी जिसमें दूसरी की बहन को छोड़ो मत...और हमारी बहन को छेड़ो मत...लेकिन हर भाई ऐसा है ये मैं नहीं कहता...मेरे कई काबिल दोस्त ऐसे हैं जिन्होने कभी इव टीजिंग में हिस्सा नहीं लिया...मेरा मानना है कि ये चीजें संस्कारों से मिलती हैं..जैसा कीड़ा बचपन में बैठ गया वैसे ही हम-आप बन गए..शहरी भारत को छोड़ दे तो आज भी महिलाएं अपने हकों के लिए जूझ रही हैं...सच तो ये है .मेरी ये बातें कुछ मर्दों को चुब जाती हैं...मैं अक्सर ये सवाल पूछता हूं -कि कितनी बार बस-ट्रेन में अगर कोई महिला खड़ी हैं तो उसे आपने सीट आफर की है...हां कोई खूबसूरत लड़की होगी तो उसे सीट मिलने के चांस ज्यादा होते हैं..हम अगर ये सोच ले कि मेरी थकी मां अगर इस आंटी की जगह खड़ी हो तो हम सीट देंगे जा नहीं...ये अपने दिल से पूछ सकते हैं...जवाब मिल जाएगा...ये मेरा आज़माया हुआ फॉर्मूला है...इस लिए मुझसे महिलाओं की इज्जत हो जाती है...और बुरे कर्मों से बच जाते हैं हम...मैं एक सवाल और पूछता हूं कि कितनी बार किसी लड़की के कम कपड़े देख कर आपकी नजरे झुक गयी...या नहीं...मानते हैं कि कम कपडे़ थे लेकिन सारा दोष लड़की पर फिर से...ये हमारे समाज का हिस्सा बन चुका है...मुझे लगता है कि महिलाएं भी इस फितरत को बखूबी समझती होंगी....ज्यादातर खोट दिमागों में भरी हुई है...जिनके कीड़ों की सफाई बहुत जरुरी है....बहुत जरुरी है.