हिंदी को भारत में राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं है...लेकिन राजभाषा होते हुए भी हिंदी भारत में वो कमाल कर जाती हैं जो शायद ही कोई ओर भाषा कर पाती...पत्रकारिता से जुड़े होने के चलते या वैसे कभी मुझे चाहे यात्रा करने कोई भी मौका मिलता है तो हिंदी की ताकत का अहसास हो जाता है...दुनिया भर में एक मुल्क से दूजे से संपर्क साधने में जो कमाल अंग्रेजी भाषा करती है... वही कमाल भारत में हिंदी करती है...उदाहरण के तौर पर पंजाब, गुजरात को ले सकते हैं...भाषा के आधार पर आज का पंजाब बना..हरियाणा को भाषा के आधार पर ही सियासी दलों नें पंजाब से अलग किया...पंजाब , गुजरात में हिंदी बोल समझ सकते हैं, लेकिन लहजा चाहे इतना शुद्ध हो ना हो...हिंदी को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने में बड़ा योगदान हिंदी फिल्मों का भी हैं...वो बात अलग है कि दक्षिण भारत पहुंचते हिंदी की हालत थोड़ी पतली हो जाती है....वहां पर लोग हिंदी समझ तो लेते हैं..बोलने में झिझकते हैं...आरोप लगते रहे हैं कि वो लोग हिंदी बोलना नहीं चाहते...शायद आजादी के बाद वो प्रसार हिंदी का वहां हो ना पाया हो...इसलिए वहां की फिल्म इंडस्ट्री भी अलग है...वहां तक हिंदी पहुंच भी कैसी पाती..भई हिंदी तो राजभाषा थी ना कि राष्ट्रभाषा....नार्थ-ईस्ट में भी हिंदी की हालत नाजुक ही हैं...मुझे लगता है कि माओवादी या विदेशी ताकतें भारत को तोड़ने की जो कोशिश करते हैं ..अगर हिंदी वहां भी मजबूत होती तो शायद ही उनको इतना बल ना मिलता.. भारत में हिंदी की ताकत को अहसास करना हो तो आप देख सकते हैं कि अब तक हिंदी पट्टी ने देश को कितने प्रधानमंत्री दिए...देश की राजनीति में हिंदी बेल्ट के नेताओं की कितनी तूती बोलती रही है...ये कहना गलत नहीं होगा कि पूरे देश को हिंदी एक धागे की तरह बांध कर रखने में अहम योगदान निभाती हैं...भले ही मेरी मातृ-भाषा जिसे पंजाब में मां-बोली कहते हैं पंजाबी है..लेकिन मेरा हिंदी के प्रति भी पूरा सम्मान हैं..क्योंकि हिंदी के चलते ही मैं ज्यादातर भारतीयों से जुड़ा महसूस करता हूं...
और इससे ही मेरी रोजी-रोटी भी चलती है...
सही है जनाब...
ReplyDeletewell said.....
ReplyDeletegud 1 sir ji
ReplyDeletei agree dost. poetry chod di .kabhi toh likho kuch. miss u
ReplyDeletewah usataad wah..kya baat hai..
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